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Wednesday, December 23, 2009

उठ जाग रे, यामा बीत गयी,

1-उठ जाग रे, यामा बीत गयी,
सदियों का कोहरा छटा,
आशा का हुआ प्रभात,
गा नव प्रभात का गान,
कि यामा बीत गयी.

नभ-वातायन से अंशुमान
ने झांक, दिया सन्देश-
तारागण गये किस देश,
अब रहा न कोहरा शेष,
कि यामा बीत गयी,

खुशियों का हुआ उदय,
कर नव प्रभात का स्वागत
गा राग रागिनी,
छेड़ भैरवी तार,
व मालकोंश की तान,
कि यामा बीत गयी


सपनों को अब छोड़,
नयन तू खोल,
बादलों की रजत-सुनहरी
शैय्या का कर त्याग
उठ, कर निर्माण की बात
खग कुल कुल करें शुभ गान,
कि यामा बीत गयी .

उठ जाग रे, यामा बीत गयी

2 comments:

  1. आज नवगीत पाठशाला से
    आपका परिचय पाकर यहाँ चला आया!
    बहुत सुखद अनुभूति हुई!

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  2. Likhne ka prayatna hai. Prerna ke liye Dhanyavaad.

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