अभियुक्ति: नवगीत पाठशाला : में मेरी रचनाएँ
रूप की धूप भी खिलती है और खिलती है जिस मन में वह मन पावन हो जाता है!
Acchha hai!
रूप की धूप
ReplyDeleteभी खिलती है
और
खिलती है जिस मन में
वह मन
पावन हो जाता है!
Acchha hai!
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