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Sunday, December 27, 2009

सर्दी की धूप -आज धूप यों दिखती है

सर्दी की धूप

आज धूप
यों दिखती है ज्यों मितव्ययी संजो कर खर्चता है
कब,कहाँ,कैसी
आवश्यकता आन पड़े सदा भविश्य की चिंता से
वर्तमान में ठिठुरता है.

2 comments:

  1. रूप की धूप
    भी खिलती है
    और
    खिलती है जिस मन में
    वह मन
    पावन हो जाता है!

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