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Monday, December 21, 2009

सृष्टि में नवगान होगा फिर नीड का निर्माण होगा

अगन लपट से बुझे तीर ने
मानवता को बींध दिया

निशा का साम्राज्य सबल है
शैतानी ने नाच किया

फिर फिर कंस ने जन्म लिया
फिर रावण ने उत्पात किया

मनुष्यता को दांव पर रख
इश्वर को ललकार दिया?

क्या नाश के दुःख से
कभी निर्माण रुकता है ?

"नव पलाश पलाश वनं पुरं
स्फुट पराग परागत पंकजम"

सुबह का आह्वान होगा
नीड़ का निर्माण होगा

प्रलय की निस्तब्धता में
कंस का विनाश होगा

नेह का आव्हान होगा
सृष्टि में नवगान होगा
फिर नीड का निर्माण होगा

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