3-निशा सुन्दरी
अलसित सांध्य परी
कोमल कली
गंभीर, निश्चल, निश्चाप,
नव निशा सुन्दरी बन
श्यामल घुँघराले बालों में
हंसती हुई इक तारिका गूँथ
अम्बर पथ से शनै: शनै: चल-
थके हारे जीवों को अंक में भर,
माँ सी-थपथपा,नींद-स्नेह का प्याला पिला,
विस्मृत मीठे अनेक सपने दर्शा,
दुःख दर्द मिटाती है ?
सच्चे मन से निकली एक सच्ची कविता!
ReplyDeleteइस माँ को मेरा मधुर नमन!
thanks.
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