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Wednesday, December 23, 2009

हाय! रे, पंछी तेरी करुण कहानी,

4-हाय!रे,पंछी तेरी करुण कहानी,

यह कैसी है रे पंछी तेरी करुण कहानी?
तेरे दुखों का कुछ भी नहीं है कोई सानी.

स्वछन्द था, सुखी था स्वतंत्र मन का राजा.
और मस्त व, मगन था, स्व नीड़ था स्वराजा,

आकाश में असीमित, साम्रज्य यार तेरा.
स्वच्छंदता सहित था वन में निवास तेरा.

उड़ता था,गीत गाता,न सीमा थी चमन में.
जहाँ तक भी नज़र थी नभ में ओ गगन में,

इक आततायी उस दिन,आया यहाँ लुटेरा.
डाला यहाँ पर उसने अपने कपट का घेरा,

तेरी स्वच्छंदता पर उसकी नज़र पड़ी थी,
सौन्दर्य पर भी तेरे जिसकी नियत बुरी थी.

तेरे निकट वह आया, दाने से था लुभाया,
फिर अपना जाल बिछा कर, उसमें तुझे फंसाया ,

हाय ! रे तेरी किस्मत, तू ऐसा फडफडाया,
कुछ भी कर सका न, तू कुछ भी कर न पाया.

यह कैसी विवशता थी, यह कैसी बेकरारी,
हाय री तेरी किस्मत, यह कैसी थी लाचारी.

वह आततायी बैरी, आज़ादी का लुटेरा,
सदा से ऐसी फितरत, इसी तरह का फेरा

कितनों को इसने लूटा, कितनों को है खसूटा,
कितनो को इसने मारा, व्यर्थ में खूं बहाया,

वह वहशी, दरिंदा, था खून का प्यासा,
इंसानियत का दुष्मन, हैवानियत का दासा

हा रे पक्षी तेरी ! यह दुःख भरी कहानी!!
 है बेजुबां का दुखडा, औ कमजोरी की मानी.
कब सत्य में वह होगी, श्री कृष्ण की वह कथनी,
वह अर्जुन को आश्वासन, धर्मं की वह मथनी.

कृष्ण उवाच :
"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत: अभुत्थान अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम .
"परित्राणाय साधूनाम विनाशाय च दुष्कृताम, धर्मासंस्थाप्नार्थाय संभवामि युगे युगे!

2 comments:

  1. पंछियों का वध करनेवालों से मैं
    भी बहुत घृणा करता हूँ!

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  2. पक्षी का उल्लेख प्रत्येक प्राणी/देश/ की स्वतंत्रता से है जिस की हत्या करने वाले आततायी (वह वहशी, दरिंदा, था खून का प्यासा,
    इंसानियत का दुष्मन, हैवानियत का दासा)
    सदा से घृणित कार्य करने में संलग्न हैं.
    Thank you.

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