गुरु बिन कौन बतावे बाट,
बड़ा विकट यम घाट,
भ्रान्ति की पहाड़ी नदिया
बीच में, अहंकार की लाट
काम क्रोध दो परबत ठाढ़े ,
लोभ, चोर,संघात
मद मच्छर का मेह बरसत
माया पवन बहकात
कहत कबीर सुनो भई साधो,
शंकर आये घाट,
बड़ा विकट यम घाट।
गुरु बिन कौन बतावे बाट।
बड़ा विकट यम घाट,
भ्रान्ति की पहाड़ी नदिया
बीच में, अहंकार की लाट
काम क्रोध दो परबत ठाढ़े ,
लोभ, चोर,संघात
मद मच्छर का मेह बरसत
माया पवन बहकात
कहत कबीर सुनो भई साधो,
शंकर आये घाट,
बड़ा विकट यम घाट।
गुरु बिन कौन बतावे बाट।
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