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Tuesday, September 3, 2013

कबीर :गुरु बिन कौन बतावे बाट..

गुरु बिन कौन बतावे बाट, 
बड़ा विकट यम घाट,

भ्रान्ति की पहाड़ी नदिया 
बीच में, अहंकार की लाट

काम क्रोध दो परबत ठाढ़े ,
लोभ, चोर,संघात

मद मच्छर का मेह बरसत 
माया पवन बहकात 

कहत कबीर सुनो भई साधो,
शंकर आये घाट,

बड़ा विकट यम घाट। 
गुरु बिन कौन बतावे बाट। 

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