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Sunday, December 13, 2009

दिनकर मुख प्रक्षालन को...















देखो दिनकर
मुख प्रक्षालन को
सरिता में उतरा,
किरण प्रभा से
प्रितिबिम्बित हो तरला
स्वर्णिम हो उठी,
प्रतिबिंबित-स्वर्णिम उर्मियाँ
झूम उठीं,
रजत लहरियां नाच उठीं.  


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