पंछी बावरा
क्यों चाँद संग प्रीत लगायी !
तू तो पंछी
प्रेम दीवाना
चाँद के मन का
भेद न जाना
चाँद तो निष्ठुर
है हरजाई
पंछी बावरा
क्यों चाँद संग प्रीत लगायी !
श्वासों में भर कर
प्रेम का सागर
तुम जाते हो
पिय से मिलने
चाँद ने कैसी प्रीत निभाई ?
प्रियतमा उसकी
निशा है भाई !
बिरथा जान गवाई !
पंछी बावरा
क्यों चाँद संग प्रीत लगायी
चाँद तो निष्ठुर
निशा है दुल्हन भाई
व्यथा से डूबे साहस निरंतर
पंछी बावरा चाँद से प्रीत लगायी
अंतस्थल में प्रेम कहानी
शोभा ज्वाला लिपटायी
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