पथिक का कर पथ प्रदर्शन,
दीप सा जल तू अकम्पित,
पथ प्रदर्शन को निरंतर,
स्नेह में वर्तिका डुबोये,
दीप सा जल तू अकम्पित.
कितने झंजावात आयें,
घन गरजते गड़गड़ाएं,
आंधी हो या हो प्रलय घन,
कुपित वारिद झरझराए,
दीप सा जल तू निरंतर,
विद्युत् चंचल तड़तड़ाये,
चहूँ दिशाएं थरथरायें,
कुपित सागर के प्रलय में,
अडिग प्रकाशस्तम्भ सरीखा,
दीप सा जल तू निरंतर
No comments:
Post a Comment