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Sunday, August 22, 2010

सखि प्राणप्रिये हे सुंदरी!

सखि प्राणप्रिये हे सुंदरी!
मम हृदय कुञ्ज निवासिनी.

मृदु मंद गंधित कमलनयनी,
सौरभ सुखद सुहासिनी.
नवनील नीरज नीरजा,
अरविन्द पुष्ट उरोजिनी.
मुकुलित कुमुद मृणालिनी,
मम हृदय कुञ्ज निवासिनी.

मुखारविंद,कर,पद्म चरण,
कंज लोचन कंजारुणं.
प्रमुदित अरविन्द लोचना.
विहंसित स्मिता सुलोचना.
लोल ललित हे पद्मिनी,
मम हृदय कुञ्ज निवासिनी.

तव प्रेम चाह की प्रतीक्षा,
मम हृदये कुरु अमृतवर्षा.
मृदु कोमल सुमधुर भाषिणी.
मम हृदय कुंज निवास कुरु,
छविनील सुनील सरोजिनी.

सखि प्राणप्रिये हे सुन्दरी!
मम हृदय कुञ्ज निवासिनी!
--
शारदा मोंगा

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