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Tuesday, April 5, 2011

कुछ दोहे--"सच्ची मित्रता"

1-मित्रता पर यों लिखो, खींचो ऐसा चित्र,
लिखो पाती प्रेम की, मेरे प्यारे मित्र.

2-कृष्ण सुदामा प्रेम का उदहारण है अनूप,
इसमें न कोई दीन है न कोई है भूप.

3-मित्र ऐसा जानिए ईश्वरदत्त उपहार,
तू मुझको प्यारा लगे जैसे गले का हार.

4-तेरी चाहत, प्रेम पर मुझको है विश्वास,

दोस्ती संभाल के, रखूं हृदय के पास.

5-दोस्ती है कांच सी, बरतें इसे संभाल,
अविश्वास से टूटती सही करना जंजाल.

6-कैसी यह विडम्बना, जिसका न कोई मीत,
जीवन है रूखा सदा, बिन स्वर के संगीत.

7-प्रकृति प्यार में झुके, मृदु सहारा मौज,
मनुज को भी चाहिए सच्चे मित्र की खोज.

8-मित्र बिना जीवन है , ज्यों धरती बिन पानी,
दुःख सुख में किससे कहें, अपनी राम कहानी.


9-अनियमित संसार में, दोस्ती चिरस्थाई,
बहु जन यहाँ साक्षी मिले, करुणा, विनोद, सच्चाई.

10-जीवन-कुञ्ज में मिली, मित्रता सुगंध
मित्र के गले मिलें, आता परम आनंद.

11-दोस्ती से ख़ुशी दोहरी, दुःख में देवे साथ,
शमन सदा दुःख का करे, और बटावे हाथ.

12-सच्ची मित्रता श्रेष्ठ है,निश्च्छल, उदार, महान,
वे नर हतभागी रहे, जिनको यह न ज्ञान.

13-परीक्षा न लो मित्र की, खो दोगे विश्वास,
समय ही गँवाओगे प्रेम का करो प्रयास.

14-मित्रता को जानिए ईश्वरदत्त प्रसाद,
हृदय को शांति मिले, प्रेम करो अगाध.

3 comments:

  1. sacchi mitrata ke dohein ati sundar

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  2. नमिता जलान जी,
    आप का अभिनंदन.

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  3. vah vah vah vah kya adbuth dohe hai

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