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Monday, May 23, 2011

-सावन के झूले डाले,

-सावन के झूले डाले,
रिमझिम रिमझिम पड़े बौच्छार,
सखियों संग झूलें.
अंगना में आई है बहार
हाथों में लागी महंदी,
अखियन कजरा, गजरा बाल.
गाओ री गाओ कजरी,
तबला बोले धिन धिन धा,
मोरनी नाचे बागाँ मं
नाचे आधी रात,
छनाछन छन छन चूड़ी
बाँहों में सदा बाहर
मुरला बोले बागाँ में
शोर मचावे आधी रात
पी यू पी यू प्यु बोले,
लरजे है मनवा है हमार
सावन के झूले डाले,
रिमझिम रिमझिम पड़े बौच्छार,

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