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Thursday, December 22, 2011

सुस्वागतं! नववर्ष.

स्वागतं, सुस्वागतं!
गा हृदय गा आज तू स्वागत के नवगीत.
नववर्ष मेहमान आया, स्वागतं है, हे मीत!

अभिनन्दन करते हैं तेरा पाहुने प्रिय मीत,
स्वागतं, सुस्वागतं! नववर्ष परं मीत.

हुआ विगत में जो बुरा, हम जायें उसको भूल,
आज पर ही ध्यान देवें शुभ हो सबकी मूल.

कहीं न होए रोला झगड़ा, न हो कहीं अन्याय
सब को मिले समान अवसर मित्रता ही भाय,

कुप्रथाएं होती हैं सदा ही समाज का फोड़ा,
परम्पराएँ बन सके न इस जीवन का रोड़ा,

रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, दवा हो उपलब्ध.
व्यायाम, मेहनत सक्षम हो, न हो परालब्ध .

सुमति दो हे परं मित्र शुभ की होय जीत,
स्वागतं, सुस्वागतं! पाहुने प्रिय मीत!

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