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Sunday, March 25, 2012

हरसिंगार

रात भर फूल झरे,
हरसिंगार की बिछी चदरिया,
चुन चुन हार गूँथ कर,
मालिन, डलिया खूब भरे,
रात भर फूल झरे, 

सिंदूरी डंडी पर खिलती,
छ: छ: श्वेत पंखुरी सुरभित,
स्व सौंदर्य भार से गर्भित,
धरा पर औंधे मुहं गिरे,
रात भर फूल झरे,  

सुबह सबेरे पलक पावड़े,
बिच्छे धरा पर, कोमल श्वेत दल,
हरसिंगार के झरझर गिरते
महके अंजुरी पुष्प भरे,
रात भर फूल झरे.

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