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Friday, August 3, 2012

चेहरा मेहताब हो गया.


उनकी अनकही आँखों से अहसास हो गया.
पलकों का झपकना बेहिसाब हो गया,

आँखों के मिलते नजर ने सवाल कर दिए,
उनकी नजर पलट गई ,मन खराब हो गया.

इस आँख मिचौली का खेल चलता रहा ?
उनका दिखना अब तो ख्वाब हो गया .

नजर दूँडती थी उनको खोजती सब जगह ,
मिलते ही नजर के उनका जवाब हो गया.

सूखा बंजर नहीं 'अरोमा' यह तो है सेलाब ,
बिनचाप नजरों से ताका चेहरा मेहताब हो गया।

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