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Monday, February 15, 2010

(जन-वृद्धि से) देखो मुश्किल यों बनी,

देखो मुश्किल यों बनी, पब्लिक है निरबंध,
जन-वृद्धि का खेल यह होगा कभी न बंद!
होगा कभी न बंद यह, कीजो उपाय!
उपदेशों से न चले, रहेंगे जब तक सोये


अनपढ़ को समझाइएगा उन्हें न इस का ज्ञान
पढ़े लिखों का क्या कहें जो बनते अनजान,
जो बनते अनजानओ' लेते ना सावधानी ,
जनवृद्धि से मुश्किलें, बढ़ाते कर मनमानी.


थोड़ी सी जनता की समस्याएं होतीं थोड़ी
निपटाना आसान है, उन्नति करें बहोरी,
उन्नति करें बहोरी, सुखी होगा समाज,
सब को समअवसर मिले,होगा राम राज!!

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