आज बसंत बधाई,
मधुकर आज, आज बसंत बधाई
कानन कानन उपवन उपवन,
खिले सुमन दल सुरभित कण कण,
यह कैसी मधुभरी पीक ने,
पंचम तान सुनाई,
आज बसंत बधाई,.
मधुकर आज, आज बसंत बधाई,
नव रंग नवल तूलिका के संग,
भ्रमर चितेरा रंग फैलये,
मेरे अलसित मन मंदिर में,
मधुर अल्सिता ऐसी छाई,
आज बसंत बधाई.
मधुकर आज, आज बसंत बधाई,
नव नभ में छिटकी चन्द्रिका,
नव कलिका अरु नवल सुमन दल,
लिए पलाश की नवल रक्तिमा,
चहुँ दिशा दिशा सुराभईं,
आज बसंत बधाई.
मधुकर आज, आज बसंत बधाई,
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