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Friday, March 19, 2010

माया वती की अजब है माया,

माया वती की अजब है माया,
ओढ़े है  दलितों की  काया,

अचरज में है सब को डाला,
किया है कैसा घोटाला,

दलितों के उद्धार नाम से,
उन्हें और अधिक धो डाला,

"शोषित" होके शोषितों के,
पहने है नोटों की माला,

जानें सब कलायें कलावती, 
बन गयी माया से मालावती,

दलितों की यह सरताज,
निकली राजाओं की बाप,

आगे पीछे मंत्री घूमें,
आस लिए नोटों की माला,

से कुछ तो मिलेगा-सोचकर,
घोटाले में हाथ है डाला.,

मंत्री माया के सिर मोर
भाई  भाई मौसेरे चोर !

अंधेर नगरी चौपट राजा,
टक्के सेर भाजी टक्के सेर खाजा,

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