Followers

Sunday, March 21, 2010

सितार बजाया करती हूँ,

संगीतमय मेरा जीवन,

मैं तार गुंजाया करती हूँ,
सितार बजाया करती हूँ,

मेरा प्रतिपल-हरक्षण-हरपल
कोमल मधुर स्वरों से स्पंदित,
लय तरिका से हो बंधित
आरोहण-अवरोहण झंकृत
तार गुंजाया करती हूँ. सितार...

मधुर स्वरों के मोती चुन चुन,
सात स्वरों को अदल,बदल कर,
तानालापों से आभूषित,
सुर लय के धागों में,
राग पिरोया करती हूं,सितार...

बिहाग, बिलावल, मालकोंश,
भूपाली, बागेसरी, खमाज,
रागों की माला झंकृत कर,
झाला बजाया कर हूँ.
फिर तार गुंजाया करती हूँ.सितार...

स्वर लय की मैं साधिका,
सुर सरिता में गोते खा खा,
रसरंजित, मदमस्त हुई,
यों काल बिताया करती हूँ.
व तार गुंजाया करती हूँ. सितार...

स्वर लहरियों से है नाता,
संगीत-मय जीवन भाता
प्रतिपल मधुर, हर क्षण मधुर,
स्वप्नों में भी सुनती हूँ सुर ,
हर तार बजाया करती हूँ...
सितार बजाया करती हूँ,

No comments:

Post a Comment