गाया नहीं है मैंने गीत,
हे अनजाने मेरे मीत!
गीत सुनाने को बेजार,
मिले नहीं वीणा के तार,
शब्द ठीक नहीं बन पाया,
हृदय में पीड़ा की छाया,
बसंत आया नहीं अबतक,
सिसक रहीं हवाएं अबतब,
वे कोमल निशब्द पदचाप,
सडक से घर आते आप,
देखा नहीं है उसका चेहरा,
सुनी न उसकी आवाज़,
दिनभर व्यस्त रहा था करता,
उसके स्वागत की व्यवस्था,
निमंत्रित कैसे उसे करूँ मैं,
जलाना भूल गया दिया मैं,
मिलन की आशा है जीवन,
उसके बिना अधूरा पन !
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