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Wednesday, September 1, 2010

आज हम स्वाधीन हैं,

आज हम स्वाधीन हैं,
अब नहीं पराधीन हैं.
डर नहीं है,
रोक नहीं,
किसी की भी
टोक नहीं.

स्वतंत्रता कायम रहती,
कि हम सावधान हैं.
सर उठाए
कह सकेंगे-
कि हम वतन
की शान हैं.

शुद्ध हों,
प्रबुद्ध हों,
वीर, ज्ञानवान हों.
चरित्रवान हों कि हम,
विवेक-
शीलवान हों.

ज्ञान का भंडार हों,
कि अवसर
एक समान हों.
भाई भतीजे वाद का
न कोई
विधान हो.

परिश्रम में
संलग्न रहें ,
कार्यों में सब
मग्न रहें.
परिश्रम ही कर्तव्य है,
लक्ष्य-प्राप्ति गंतव्य है.

अवसर
सबको मुफ्त हो,
स्वातंत्र सुख का लुत्फ़ हो.
न्याय का
औचित्य-विधान,
सक्षम सब हों एक समान.

छोडो कुप्रथाएं,ये हैं
अंधविश्वास के
गड्ढे गहरे.
स्पष्ट कारणों
के ही बल पर,
आधारित हों विश्वास हमारे.

खोल रक्खें मन-कपाट,
दुनिया विस्तृत है सपाट.
स्वाधीनता
जन्मसिद्ध अधिकार,
वासूदेव-कुटुम्ब
असल परिवार...
by Sharda Monga.

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