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Wednesday, September 1, 2010

पवित्रता (गीतांजलि-रूपांतरण)

पवित्रता"मैं जन्म जन्मान्तरों तक
स्वयं को पवित्र रखने का
यत्न करता रहूँगा
यह जानते हुए-
कि मेरे सार्वंग पर
तुम्हारा स्पर्श है.
मैं अपने विचारों से
असत्यों को
निकालने का यत्न करूंगा
यह जानते हुए-
कि तुम ही
मेरे मानस का
सत्य-प्रकाश हो.
मैं सब बुराइयों को छोड़
प्यार के पुष्प खिलाऊंगा
यह जानते हुए कि
तुम ही मेरे अंतरतम में
विराजमान हो.
तुम्हें मैं खोज निकलने का
प्रयास करूंगा
यह जानते हुए-
कि ऐसी शक्ति
मुझे तुम से ही मिलेगी."...
Sharda Mongs.

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