इन्द्रधनुष-के
बदरा उमड़े,घुमड़ घुमड़ कर
मेघा बरसे
छ्म छमाछ्म,
बिजली चमके,
धरती नाच उठी.
बांध घुंगरवा
बुंदिया छमके
सावन की
पायलिया पहने,
ओढ़ चुनरिया धानी,
धरती नाच उठी.
इन्द्र धनुष के डाले झूले |
इंद्र धनुष के डाले झूले,
सखियों के
संग घूमे खेलें,
भीजी अंगिया, सारी,धरती नाच उठी
वन उपवन में
मस्ती छाये
डाल-डाल पांखी
पत नहाये
झूम झूम के पवन झुलाये झूली,
धरती नाच उठी.
दादुर, मोर, पपीहा बोले,
हिय में-
कुछ कुछ होता डोले,
प्राण प्रिया सजनी-संग भाए,
मनवा झूम झूम के गाये,
धरती नाच उठी.
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