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Thursday, September 16, 2010

सितार बजाया करती हूँ,

 

सितार बजाया करती हूँ,
संगीतमय मेरा जीवन
मेरा प्रतिपल-हरपल
सुंदर मधुर स्वरों से
आभूषित हो हरक्षण
तार गुंजाया करती हूँ,
सितार बजाया करती हूँ,

मधुर स्वरों के मोती चुन,
सात स्वरों को अदल,बदल,
तानालापों से आभूषित,
सुर लय के धागों में,
राग पिरोया करती हूं,
सितार बजाया करती हूँ,

बिहाग, बिलावल, मालकोंश,
भूपाली, बागेसरी, खमाज,
रागों की माला झंकृत कर,
झाला बजाया कर हूँ.
मैं तार गुंजाया करती हूँ,
सितार बजाया करती हूँ,

स्वर लय की मैं साधिका,
सुर सरिता में गोते खा,
रसरंजित हो मद मस्त हुई,
मैं काल बिताया करती हूँ.
व तार गुंजाया करती हूँ,
सितार बजाया करती हूँ,

संगीत मय मेरा जीवन,
स्वप्नों में भी तो गाती हूँ.
प्रतिपल मधुर, हर क्षण मधुर,
मैं तार बजाया करती हूँ ,
हरदम प्रतिपल,प्रतिपल,हरदम ,
सितार बजाया करती हूँ,

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