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Tuesday, January 4, 2011

दुशासन हैरान!

दुशासन हैरान!
आजकी द्रौपदी
अर्ध वस्त्रा,
अंग दिखाए कतरा कतरा,
उसका कैसा चीर हरण.
आधुनिका को,
न लाज शरम,
चीर हरण को तत्पर,
खुद ही पूछे,
चोली के पीछे क्या है?
लाज के माईने बदले
वात्सल्य बना शृंगार
न ढकती अंग,
न तन बदन,
दुर्योधन कर्ण करें,
अचरज!
शकुनी का पासा,
निष्फल!
सर नीचा कर पांडव,
देखें टुकुर पल पल,
स्वयं द्रौपदी,
जानने को तत्पर,
बतियाये, अकड़े,
पूछे,
चोली के पीछे क्या है?
यह प्रजातंत्र है लोकतंत्र,
हया न शरम,
फूटे करम.

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