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Monday, May 23, 2011

आओ सुनाऊँ एक कहानी,

आओ सुनाऊँ एक कहानी,
रंग रंगीला मोर सजीला,
थिरक थिरकता ठुमुक फुदकता,
थोड़ा सा उड़ भी लेता था,
फूलों से करता मीठी बानी,..आओ सुनाऊँ एक कहानी,

उपवन का था वह सम्राजा,
मलय पवन के झोंकों के संग,
सुबह सबेरे हर दिन उठकर,
मोरनी के आगे पीछे,
जब आती मधु गंध दीवानी,...आओ सुनाऊँ एक कहानी,

भांति भांति के फूलों पर,
तुहिन कणों के झिलमिल मोती,
कोमल कोंपल किसलय, डालें,
पवन झुलाये थी मनमानी.,...आओ सुनाऊँ एक कहानी,
भ्रमर गुंजाते गीत सुनाते,
खग-कुल, कुहू करते अगवानी,
तट-तीर-तरंग-तटनी सुहानी,
स्वच्छ नीर सुनील करता मनमानी.,...आओ सुनाऊँ एक कहानी,,

बदरा जब झूम के आता,
पगला मदहोश हो जाता,
सुंदर स्वप्निल सा वह पगला,
नीलवर्ण के पंख फैलाए,
प्राणप्रिया को झूम झूम के,
नृत्य दिखा कर खूब रिझाये,
कैसी थी उसकी दीवानी,...आओ सुनाऊँ एक कहानी,---

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