एक पक्षी ऐसा!
जिसकी दुम पर पैसा.
जंगल में जिसका साम्राज,
और सजे सर पर है ताज.
प्रिया संग वह रास रचाता,
उमड़ घुमड़ जब बदरा आता.
पैहलें डाले, पंख फैलाये,
पीहू कहाँ, पीहू कहाँ' शोर मचाये.
नीलकंठी वह रंग रंगरंगेला,
दुम पर दमके पैसा सुनहला.
उस का समकक्षी न कोई,
नीलहरित मनमोहित होई,
सुन्दरता में है बेजोड़!
देखो इसी उपवन में मोर.
जिसकी दुम पर पैसा.
जंगल में जिसका साम्राज,
और सजे सर पर है ताज.
प्रिया संग वह रास रचाता,
उमड़ घुमड़ जब बदरा आता.
पैहलें डाले, पंख फैलाये,
पीहू कहाँ, पीहू कहाँ' शोर मचाये.
नीलकंठी वह रंग रंगरंगेला,
दुम पर दमके पैसा सुनहला.
उस का समकक्षी न कोई,
नीलहरित मनमोहित होई,
सुन्दरता में है बेजोड़!
देखो इसी उपवन में मोर.
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