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Monday, May 23, 2011

मोर, नीलकंठी बन गया

कान्हा के मुकुट में
जब लगा मोर का पंख
नीलकंठी बन गया
लिया श्याम का रंग
ग्रीवा सुंदर बांसुरी,
गाये बैजंती राग
राधा को बुलाये माधव
बांसुरी का भाग!
सुनकर बंसी का मधुर स्वर
राधा भागी भागी आई,
देख मोर सी बांसुरी,
हंसी छूटी छूटी जाई..

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