रैना बीत गयी री सजनी,
सो कर काटी सारी रजनी,
कबतक सोएगी री सजनी.
तारागण हैं गये किस देश,
... सूर्य आया नव वर्ष के भेष,
लालिमा छा रही नभ प्रदेश
कोमल किसलय पवन ड़ोलनी ,
रैना बीत गयी री सजनी,
नववर्ष नवप्रभात की बेला
सुरभित दिशा नैसर्गिक मेला,
नवस्नाता प्रकृति रंग रंजित,
मलयज बहता मंद सुगन्धित,
बीत गयी अब तो है रजनी,
रैना बीत गयी री सजनी,
चीं चिरप चिरप करते खगगण,
कलिका खोल रहीं अपना तन,
फूल के प्याले में मकरंद,
झूमता भ्रमर करे गुंजन,
पंछी छेड़ें नयी रागिनी,
रैना बीत गयी री सजनी,
उषा ओढ़ गुलाबी चुनरिया
मुस्कुराई सलज्ज दुल्हनिया,
हटा, घूंगट निहारे पिया को ,
कुछ कुछ होने लगा जिया को,
देख मिलन बेला प्रिय सजनी.
रैना बीत गयी री सजनी,
सो कर काटी सारी रजनी,
कबतक सोएगी री सजनी.
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