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Wednesday, August 15, 2012

जन्म भूमि, मातृ भूमि, पितृ भूमि वंदना, राग भूमि, त्याग भूमि, भाग भूमि अर्चना.

जन्म भूमि, मातृ भूमि, पितृ भूमि वंदना,
राग भूमि, त्याग भूमि, भाग भूमि अर्चना,
विश्व में उठा हिमाद्रि का विशाल भाल है,
सिन्धु, ब्रह्पुत्र गंगधार कंठ माळ है,
है समुद्र धो रहा पवित्र पांव चूमता,
फूल है चढ़ा सुगंध पा समीर झूमता,
चांदनी हंसी, खिली वायुप्राण से मिली,
है तुझे निहार स्वर्ग की समस्त कल्पना,
जन्म भूमि....

आरती उतारती वेश को संवारती,
मूर्तिमान हो गई वहां अनूप कल्पना,
जन्म भूमि मातृ भूमि, पितृ भूमि वंदना,
राग भूमि, त्याग भूमि, भाग भूमि अर्चना,

आज कोटि कोटि कार्य से कि बाहुबल मिले,
कौन कह रहा कि वीर भूमि आज निर्बला,
आज जागरण हुआ कि हम सदा स्वतत्र हैं,
आज लोक में स्वकीय यंत्र, मन्त्र, तन्त्र हैं,
आज एक कल्पना, आज एक चिन्तना ,
आज भावना यही, समस्त सिद्धि साधना,
जन्म भूमि...

देश में अनेक वर्ग, जाति, वर्ण, धर्म हैं,
भाव हैं अनेक बोल हैं, अनेक कर्म हैं,
कोटि कोटि रूप यह, परन्तु एक प्राण हैं,
मान एक, ज्ञान एक, जान एक दान है,
एक आज शांति है, एक भाव भक्ति है,
कोटि कोटि प्राण की अधिक एक भावना,

जन्म भूमि, मातृ भूमि, पितृ भूमि वंदना,
राग भूमि, त्याग भूमि, भाग भूमि अर्चना.

3 comments:

  1. sharda ji namskar, ati sundar likha hai aapne---------------- जन्म भूमि, मातृ भूमि, पितृ भूमि वंदना,
    राग भूमि, त्याग भूमि, भाग भूमि अर्चना.

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    Replies
    1. सुमन जी। क्षमाप्रार्थी हूं, लंबे अंतराल के पक्ष उत्तर देने के लिए। आपका धन्यवाद पसंद करने के लिए।

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  2. लंबे अंतराल के'पश्चात'उत्तर देने के लिए क्षमा।

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