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Monday, April 29, 2013

बंद रास्ते. ..




जब मैं सोच रहा था कि
अब मेरी यात्रा का अंत आ गया है.
अपनी शक्ति के उस अंतिम क्षण में

मैंने अपने समक्ष राह को बंद पाया
सोचा अब विश्राम का समय आगया है,

परन्तु हे देव!

मैंने पाया कि तुम्हारी शक्ति का

कोई अंत नहीं है,

क्योंकि...

जब जिव्हा पर पुराने शब्द खो जाते हैं,

तब हृदय से नवगीत निकलने लगते हैं,

और जब पुराने रास्ते बंद हो जाते हैं,

तब आश्चर्यों भरा

एक नया संसार खुल कर

सामने आ जाता है।

हे देव! तुम्हारी शक्ति अपरम्पार है.

रबिन्द्र नाथ टैगोर
( रूपान्तर )

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